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वित्तीय निर्णय लेते समय, हमारे मन में कई प्रकार के संज्ञानात्मक पूर्वाग्रह होते हैं जो हमारे फैसलों को प्रभावित कर सकते हैं। व्यवहारिक वित्त इन पूर्वाग्रहों का अध्ययन करता है और यह समझने की कोशिश करता है कि कैसे ये हमारे निवेश निर्णयों को प्रभावित करते हैं।
संज्ञानात्मक पूर्वाग्रह हमारे मानसिक शॉर्टकट्स और प्राथमिकताओं का परिणाम होते हैं, जो हमें त्वरित निर्णय लेने में मदद करते हैं, लेकिन अक्सर ये तर्कसंगतता के बजाय भावनाओं पर आधारित होते हैं। यह पूर्वाग्रह हमारे निवेश निर्णयों में भी स्पष्ट रूप से दिखाई देते हैं।
इस पूर्वाग्रह में हम उन सूचनाओं की ओर आकर्षित होते हैं जो हमारी मौजूदा मान्यताओं या पूर्वधारणाओं की पुष्टि करती हैं। इससे हमें नए विचारों या सूचनाओं को नजरअंदाज करने की प्रवृत्ति होती है, जो हमारे निवेश के फैसलों को प्रभावित कर सकती है।
यह पूर्वाग्रह बताता है कि हम लाभ की तुलना में हानि को अधिक तीव्रता से महसूस करते हैं। इसका मतलब है कि हम नुकसान से बचने के लिए अधिक जोखिम उठाने की बजाय, सुरक्षित विकल्पों को प्राथमिकता देते हैं, जिससे संभावित लाभ से वंचित रह सकते हैं।
इस पूर्वाग्रह में निवेशक अपने ज्ञान और क्षमताओं के प्रति अधिक आत्मविश्वास रखते हैं। यह उन्हें अनावश्यक रूप से जोखिम भरे निवेश करने के लिए प्रेरित कर सकता है, जिससे नुकसान की संभावना बढ़ जाती है।
इस पूर्वाग्रह में हम हाल की या सबसे आसानी से उपलब्ध जानकारी पर अधिक ध्यान देते हैं। इससे हम पिछले अनुभवों या हाल की घटनाओं के आधार पर गलत निर्णय ले सकते हैं, बिना पूरी जानकारी के विश्लेषण किए।
इस पूर्वाग्रह में हम समूह या भीड़ के निर्णयों का अनुसरण करते हैं, चाहे वह सही हो या गलत। इसका कारण यह है कि हमें सामाजिक स्वीकृति की आवश्यकता होती है और हम यह मान लेते हैं कि समूह का निर्णय हमेशा सही होता है।
अंत में, संज्ञानात्मक पूर्वाग्रह हमारे निवेश निर्णयों को प्रभावित कर सकते हैं, लेकिन यदि हम उन्हें समझें और अपने निर्णयों में तार्किकता और विचारशीलता को शामिल करें, तो हम बेहतर वित्तीय निर्णय ले सकते हैं।
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